इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लि. (आईआईएफसीएल) नामक विशेष प्रयोजन माध्यम से व्यावहारिक बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के वित्त पोषण हेतु योजना (संशोधित)
1. भूमिका
क. जबकि भारत सरकार का मानना है कि विभिन्न क्षेत्रों की भौतिक आधारिक संरचना की उपलब्धता में भारी कमी है एवं यह कि इससे आर्थिक विकास में अवरूद्ध हो रहा है।
ख. जबकि बुनियादी ढांचे के विकास में वर्तमान में उपलब्ध कर्ज की निधियों की संपूरण के लिए दीर्घ अवधि की परिपक्वता के कर्ज की आवश्यकता है; एवं
ग. जबकि भारत सरकार का मानना है कि ऐसे कर्ज आमतौर पर निम्नलिखित बाधाओं के कारण उपलब्ध नहीं होते हैं:
(i) बाजार से दीर्घ अवधि के कर्ज जुटाने के लिए मानक (बैंचमार्क) दरों का उपलब्ध न होना,
(ii) अधिकांश वित्तीय संस्थानों के मामले में कर्ज की अवधि का आस्ति – देयता का मिलान न होना; एवं
(iii) दीर्घ अवधि के कर्ज की अत्यधिक लागत
घ. अत: अब भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं की व्यावहारिकता में सुधार लाने में वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए निम्नलिखित योजना प्रभाव में लाई जाय।
2. संक्षिप्त नाम एवं विस्तार
2.1 इस योजना को व्यावहारिक रूप से बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के वित्त पोषण की योजना कहा जाएगा। यह योजना आईआईएफसीएल के माध्यम से वित्त मंत्रालय द्वारा शासित होगी।
2.2 यह संशोधित योजना 30 मार्च, 2015 से प्रभावी होगी।
3. परिभाषाएं
इस योजना में जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो:
(क) अधिकारप्राप्त समिति से इस योजना के प्रयोजनार्थ संयोजक के तौर पर सचिव (आर्थिक कार्य), सचिव, योजना आयोग, सचिव (व्यय) एवं सचिव (वित्तीय क्षेत्र) एवं उनके अनुपस्थिति में विषय पर संव्यवहार करने वाले मंत्रालय के विशेष सचिव/अतिरिक्त सचिव (वित्तीय क्षेत्र) एवं सचिव को मिलाकार गठित समिति अभ्रिप्रेत है।
(ख) आईआईएफसीएल से इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लि. (कंपनी अधिनियम, 1956 के अधीन निगमित कंपनी) अभिप्रेत है।
(ग) अग्रणी बैंक से वह बैंक/वित्तीय संस्थान (एफआई) अभिप्रेत है जो परियोजना का वित्त पोषण करता है एवं अंतर-संस्थागत समूह अथवा बैंक/वित्तीय संस्थानों का संघ निर्दिष्ट है। एक से अधिक बैंककारी व्यवस्थाओं के मामले में बैंक/संस्थान जिसका सबसे बड़ा निवेश होगा उसे अग्रणी बैंक समझा जाएगा।
(घ) दीर्घ अवधि के कर्ज से परियोजना कंपनी को आईआईएफसीएल द्वारा प्रदत्त कर्ज अभ्रिपेत है जहां 10 वर्ष (आईआईएफसल (यूके) लि. के मामले में 8.5 वर्ष) से अनधिक पुनर्भुगतान की औसत परिपक्वता हो। हालांकि परियोजना ऋणों के मामले में जहां ऋणदाताओं के सहायता संघ द्वारा नम्य संरचना मॉडल (5/25 मॉडल) अपनाया गया है, पुनर्भुगतान की औसत परिपक्वता 5 वर्ष होनी चाहिए।
(ड.) निजी क्षेत्र की कंपनी से वह कंपनी अभ्रिप्रेत है जिसमें 51 प्रतिशत अथवा उससे अधिक अंशदान एवं चुकता इक्विटी निजी संस्थाओं द्वारा स्वाधिकृत एवं नियंत्रित है।
(च) परियोजना कंपनी से वह कंपनी अभिप्रेत है जो उस बुनियादी ढांचे की परियोजना का कार्यान्वयन कर रही है जिसके लिए आईआईएफसीएल द्वारा सहायता दी जानी है।
(छ) परियोजना अवधि से जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजना हेतु अनुबंध अथवा रियायती करार की अवधि अभ्रिप्रेत है।
(ज) जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजना से उपयोगकर्ता प्रभारों के भुगतान पर बुनियादी ढांचे की सेवा उपलब्ध कराने में एक ओर सरकार अथवा सांविधिक संस्था एवं दूसरी ओर निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच अनुबंध अथवा रियायती करार पर आधारित परियोजना अभिप्रेत है।
(झ) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी से वह कंपनी अभिप्रेत है जिसमें 51 प्रतिशत अथवा उससे अधिक अंशदान एवं चुकता इक्विटी केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से अथवा अलग-अलग रूप से स्वाधिकृत एवं नियंत्रित है एवं लोक उद्यम विभाग एवं कंपनियों द्वारा निर्दिष्ट कोई उपक्रम शामिल है जिसमें अधिकांश हिस्सेदारी वित्तीय संस्थानों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा धारित है।
(त) कुल परियोजना लागत से परियोजना की कुल पूंजीगत लागत अभ्रिप्रेत है जो इस शर्त के अधीन अग्रणी बैंक द्वारा अनुमोदित है कि आईआईएफसीएल धारक कंपनी से अथवा किसी अन्य अवलंब के स्वरूप में गारंटी मांगते हुए पीपीपीएसी द्वारा अनुमोदित लागत एवं अग्रणी बैंक द्वारा अनुमोदित लागत के बीच जोखिम कवर करने में समर्थ हो।
(थ) गौण कर्ज से वह कर्ज अभ्रि्प्रेत है जिसकी श्रेणी प्रतिभूति में सममात्रा प्रभार का वहन करने वाले परियोजना कर्ज की तुलना में कम हो।
4. आईआईएफसीएल हेतु वित्त पोषण के स्रोत
4.1 इक्विटी के अतिरिक्त आईआईएफसीएल निम्नलिखित स्रोतों से जुटाये गये कर्ज के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा:
(क) प्रयोजन के लिए सृजित यथोचित साधनों के माध्यम से बाजार से जुटाया गया कर्ज: यद्यपि आईआईएफसीएल सामान्य तौर पर ब्याज दर व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले अत्यधिक लागत के कर्ज के पुनर्भुगतान/अग्रभुर्गतान के प्रयोजनार्थ 10 वर्ष एवं उससे अधिक की परिपक्वता के कर्ज जुटाएगा लेकिन आईआईएफसीएल अल्प अवधि के ऋण भी जुटा सकता है।
(ख) द्विपक्षीय अथवा बहु पक्षीय संस्थान जैसे विश्व बैंक अथवा एशियाई विकास बैंक से कर्ज। भारत सरकार की पूर्व अनुमति से जुटाये गये बाहरी वाणिज्यिक उधार सहित विदेशी मुद्रा के कर्ज।
(ग) बैंकों/वित्तीय संस्थानों से अल्प अवधि के कर्ज जो केवल आस्ति – देयता असंतुलन अथवा किसी भी समय को देखते हुए अपने निवल मालियत के पुनर्वित्त के प्रयोजनार्थ हो।
4.2 आईआईएफसीएल जब कभी आवश्यक हो निधियां जुटायेगा। यह निधि इस तरह जुटाई जाएगी जिसका उपयोग आगे उधार देने के लिए किया जा सके एवं अधिशेष निधि का निवेश विपणनीय सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक एवं टी-बिल) एवं/अथवा जमा प्रमाणपत्त्र, सावधि जमा एवं कोषागार प्रबंधन के प्रयोजनार्थ, एएए मूल्यांकित सार्वजनिक क्षेत्र के कार्पोरेट बंधपत्रों में किया जा सकता है।
4.3 आईआईएफसीएल द्वारा लिया गया ऋण भारत सरकार द्वारा गारंटीकृत हो सकता है। प्रदत्त गारंटी की सीमा वित्त मंत्रालय द्वारा राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत उपलब्ध सीमाओं के भीतर प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरूआत में निर्धारित कर ली जाएगी।
4.4 आईआईएफसीएल एवं आईआईएफसी (यूके) द्वारा देय गारंटी शुल्क वही होगा जो समय-समय पर वित्त मंत्रालय विनिश्चित करे।
4.5 गारंटी के लिए शर्त सहित गारंटियों की सुविधा की समय-समय पर वित्त मंत्रालय में समीक्षा की जाएगी एवं उसे जारी रखना समीक्षा के परिणाम पर निर्भर करेगा।
5. परियोजना के लिए पात्रता संबंधी मानदंड
5.1 आईआईएफसीएल केवल वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक परियोजनाओं का ही वित्तपोषण करेगा। व्यावहारिक परियोजनाओं में वे परियोजनाएं भी शामिल हो सकती हैं जो सरकारी योजना के तहत व्यावहारिकतापूर्ण अंतर के वित्तपोषण प्राप्त करने के पश्चात व्यावहारिक होगी।
5.2 इस योजना के तहत वित्त पोषण हेतु पात्र होने के उद्देश्य से परियोजना निम्नलिखित मानदंड पूरा करेगी।
क. परियोजना निम्नलिखित द्वारा कार्यान्वित (अर्थात परियोजना अवधि के लिए विकसित, वित्त पोषित एवं संचालित) होगी:
(i) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी
(ii) पीपीपी पहल के तहत चयनित निजी क्षेत्र की कंपनी; अथवा
(ii) निजी क्षेत्र की कंपनी
क) परंतु आईआईएफसीएल इस योजना के तहत जन निजी भागीदारी की उन परियोजनाओं को ऋण देने में अधिक प्राथमिकता देगी जो प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रियाओं के माध्यम से चयनित निजी क्षेत्र की कंपनियों के द्वारा कार्यान्वित होती हैं।
ख) परंतु यह भी कि आईआईएफसीएल निजी कंपनियों द्वारा स्थापित परियोजनाओं को सीधे ऋण प्रदान कर सकता है जो निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:
(i) बुनियादी ढांचे की परियोजना द्वारा उपलब्ध की जाने वाली सेवा विनियमित हो अथवा परियोजना केंद्र सरकार, किसी राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उपक्रम के साथ एक समझौता ज्ञापन करार के अंतर्गत स्थापित की जा रही हो।
(ii) आईआईसीएफसीएल की ऋण देने की अवधि सवार्धिक अवधि वाले वाणिज्यक ऋण की अवधि से कम से दो वर्ष अधिक हो।
(iii) इस श्रेणी के उधारकर्ताओं (निजी क्षेत्र की कंपनियां जो प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से न चुनी गई हों) के संबंध में प्रत्यक्ष ऋण (गौण कर्ज सहित) जमा (+) पुनर्वित्त कारोबार यदि कोई हो, किसी भी वर्ष में आईआईएफसीएल द्वारा कुल .ऋण राशि से 40 प्रतिशत से अधिक न हो। आईआईएफसी (यूके) लि. के मामले में प्रत्यक्ष ऋण जमा (+) पुनर्वित्त कारोबार यदि कोई हो, किसी भी वर्ष में आईआईएफसीएल द्वारा कुल .ऋण राशि से 50 प्रतिशत से अधिक न हो।
ख. परंतु रेलवे की परियोजनाओं के मामले में जो निजी क्षेत्र की कंपनी के प्रचालन में संशोधनीय नहीं होती, उस पर अधिकारप्राप्त समिति ऐसी कंपनियों द्वारा ऐसी परियोजना के प्रचालन से सबंधित पात्रता संबंधी मानदंड मं छूट दे सकती है।
ग. ये परियोजना निम्नलिखित क्षेत्रों में से एक हो सकती है:
क्र.सं.
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वर्ग
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बुनियादी ढांचा संबंधी उप-क्षेत्र
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1
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परिवहन
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सड़क एवं पुल
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बंदरगाह1
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अंतरदेशीय जल मार्ग
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हवाई अड्डा
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रेल मार्ग, सुरंग, पुलिया (वाइडक्ट) , पुल2 शहरी सार्वंजनिक परिवहन (शहरी सड़क परिवहन के मामले में रोलिंग स्टॉक को छोड़कर)
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2
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ऊर्जा
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बिजली का उत्पादन
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बिजली का पारेषण
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बिजली का वितरण
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तेल की पाइप लाइनें
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तेल/गैस/द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) भंडारण सुविधा3
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गैस की पाइप लाइनें 4
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3
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जल संबंधी स्वच्छता
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ठोस कचरा प्रबंधन
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जल आपूर्ति की पाइप लाइनें
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जल प्रशोधन संयत्र
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मल-जल संग्रहण, प्रशोधन एवं निस्तारण प्रणाली
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सिंचाई (बांध, नहर, तटबंध इत्यादि)
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वर्षा जल निकास प्रणाली
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मल-जल की पाइप लाइनें
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4
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संचार
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दूरसंचार (स्थाई नेटवर्क) 5
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दूरसंचार के टॉवर
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दूरसंचार एवं दूरसंचार सेवाएं
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5
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सामाजिक एवं वाणिज्यिक आधारिक संरचना
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शिक्षण संस्थाएं (पूंजीगत स्टॉक)
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चिकित्सालय (पूंजीगत स्टॉक) 6
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एक मीलियन की जनसंख्या वाले शहरों के बाहरी इलाके में अवस्थित तीन तारा अथवा उच्च श्रेणी के वर्गीकृत होटल
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औद्योगिक पार्क, विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड), पर्यटन सुविधाएं एवं कृषि बाजार हेतु सामान्य बुनियादी ढांचा
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उवर्रक (पूंजीगत निवेश)#
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शीतगृह सहित कृषि एवं बागवानी उपज हेतु फसल बाद भंडारण संबंधी बुनियादी ढांचा
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भारत में किसी भी जगह में 200 करोड़ रूपये से अधिक की परियोजना लागत वाले एवं किसी भी रेटिंग के होटल8
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टर्मिनल बाजार
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मृदा परीक्षण एवं प्रयोगशालाएं:
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कोल्ड चैन 7
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300 करोड़ रूपये से अधिक की परियोजना लागत वाले सम्मेलन केंद्र8
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# 26 नवंबर, 2015 से प्रभावी, उवर्रक (पूंजीगत निवेश) आईआईएफसीएल द्वारा वित्तपोषण के उप क्षेत्र हेतु पात्र नहीं है।
टिप्पण
1. पूंजीगत तलकर्षण सहित
2. माल चढा़ने/उतारने के लिए टर्मिनल, स्टेशन एवं भवन जैसे सपोर्टिंग टर्मिनल ढांचा सहित
3. कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार सहित
4. नगर गैस वितरण नेटवर्क सहित
5. ऑप्टिक फाइबर/केबल नेटवर्क सहित जिसमें ब्राडबैंड/इंटरनेट उपलब्ध होता है।
6. मेडिकल कॉलेज, परा मेडिकल कॉलेज एवं निदान केंद्र।
7. कृषि क्षेत्र स्तर पर प्री कूलिंग, कृषि एवं उससे संबंधित उत्पाद, समुद्री उत्पाद एवं मांस के लिए ठंडा कमरे सहित।
8. 29.11.2013 से संभावित प्रभाव से लागू: 3 वर्षों की अवधि हेतु पात्र परियोजनाओं के उल उपलब्ध: भूमि एवं पट्टे की लागत को छोड़कर पात्र लागत लेकिन निर्माण के दौरान ब्याज सहित।
इसके अतिरिक्त इस खंड के तहत सिफ्टी में बुनियादी ढाचां संबंधी उप क्षेत्रों की सूची का अद्यतन स्वत: हो सकता है जब कभी भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सूची का अद्यतन किया जाता है।
आईआईएफसी (यूके) लि. के मामले में यथा लागू निम्नलिखित क्षेत्र जोड़े जाते हैं:
· मोबाइल टेलीफोनी सेवाएं/सेल्युलर सेवाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनियां
· खनन
· अन्वेषण एवं
· परिष्करण
इसके अतिरिक्त खंड में बुनियादी ढांचा संबंधी उप क्षेत्रों से संबंधित संशोधन स्वत: हो सकता है जब कभी भारत सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक (ईसीबी दिशानिर्देश) द्वारा बदलाव किया जाता है।
5.3 केवल ऐसी परियोजनाएं, जो प्रत्यक्ष तौर पर उधारकर्ता कंपनी द्वारा अथवा बिना अवलंब आधार पर विशेष प्रयोजन माध्यम से कार्यान्वित की जा रही हैं एवं जहां कर्ज दायित्वों (उदाहरर्णाथ डीएसआरए) का शोधन सुरक्षित करने के लिए निलंब खाता अथवा अन्य यथोचित तंत्र विद्यमान है, आईआईएफसीएल से वित्तपोषण का पात्र होगी।
5.4 ऐसी स्थिति में आईआईएफसीएल को परियोजना की पात्रता के संबंध में कोई स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो मामला उचित निर्देश हेतु अधिकारप्राप्त सीमिति को भेजा जा सकता है।
5.5 पीपीपीएसी/ईसी/ईआई द्वारा अनुमोदित पीपीपी परियोजनाओं के मामले में जिनमें समाप्ति पर प्राधिकार द्वारा बाईबैक का अनिवार्य प्रावधान है , आईआईएफसीएल अन्य ऋण दाताओं की तुलना में सर्वाधिक अवधि के साथ ऋण का प्रस्ताव कर सकता है एवं अन्य ऋणदाताओं को राशि चुकाने के पश्चात एकमात्र ऋणदाता रह सकता है यदि आवश्यक हो।
6. अग्रणी बैंक द्वारा मूल्यांकन एवं निगरानी
6.1 आईआईएफसीएल अग्रणी बैंक अथवा प्रतिष्ठित मूल्यांकनकर्ता संस्थान/बैंक/अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान के मूल्यांकन के आधार पर परियोजना के लिए ऋण संस्वीकृत करने पर विचार करेगा। आईआईएफसीएल अपने स्वयं के मूल्यांकन के आधार पर भी ऋण संस्वीकृत करने पर विचार कर सकता है एवं अग्रणी ऋणदाता की भूमिका निभा सकता है।
ऐसे मूल्यांकन के आधार पर आईआईएफसीएल निम्नलिखित अनुच्छेद 7 में स्पष्ट की गई सीमा तक के वित्तपोषण पर विचार कर सकता है एवं अनुमोदन कर सकता है।
6.2 अग्रणी बैंक नियमित निगरानी जारी रखेगा एवं सहमत करार एवं कार्य निष्पादन स्तर के साथ परियोजना के अनुपालन का समय-समय पर मूल्यांकन करेगा। अग्रणी बैंक आईआईएफसीएल को आवधिक प्रगति रिपोर्ट भेजेगा। आईआईएफसीएल अपनी स्वयं की परियोजनाओं की नियमित निगरानी भी कर सकता है।
7. वित्त पोषण का तरीका
7.1 आईआईएफसीएल निम्नलिखित तरीकों के माध्यम से व्यावहारिक बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं का वित्त पोषण कर सकता है:
(क) दीर्घ कालिक ऋण;
(ख) बैंकों एवं सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों को उनके द्वारा प्रदान किए ऋणों के लिए पुनर्वित्त।
(ग) टेकआउट वित्तपोषण
(घ) गौण ऋण
(ड.) क्रेडिट इंहैसमेंट
(च) वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर अनुमोदित कोई अन्य तरीका।
7.2 आईआईएफसीएल द्वारा किसी भी परियोजना कंपनी को प्रदान की गई कुल ऋण राशि कुल परियोजना लागत के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। टेकआउट वित्त पोषण के मामले में परियोजना के लिए प्रत्यक्ष ऋण राशि परियोजना लागत के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी एवं आईआईएफसीएल द्वारा टेकआउट वित्तपोषण सहित कुल ऋण राशि कुल परियोजना लागत के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। ऋण का संवितरण बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा संवितरित किए गये ऋण के अनुपात में किया जाएगा। उपरोक्त निवेश लागू विनियामक मानदंडों के अधीन होगा।
7.3 आईआईएफसीएल द्वारा प्रभारित ब्याज दर इसकी आधार दर के आधार पर तथा प्रशासनिक लागत, निवल मूल्य पर औसत प्रतिलाभ एवं गारंटी शुल्क की लागत इत्यादि सहित निधियों की औसत लागत के आधार पर आने वाली लागत के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
7.4 परियोजना आस्तियों पर प्रभार परियोजना ऋण (गौण ऋण को छोड़कर) के समरूप होगा एवं परियेाजना ऋण (गौण ऋण को छोड़कर) की अवधि के आगे तक तक जारी रहेगा जब तक कि आईआईएफसीएल द्वारा ऋण पर दी गई राशि तथा उस पर उपार्जित ब्याज और अन्य प्रभार की राशि बकाया रहे।
गौण ऋण
7.5 परंतु आईआईएफसीएल निम्नलिखित शर्तों के अधीन गौण ऋण उपलब्ध करा सकता है:
क) परियोजना खुली प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से प्रदान की गई हो;
ख) यह जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के सूत्रीकरण, मूल्यांकन, एवं अनुमोदन हेतु जारी दिशानिर्देशों के तहत पीपीपीएसी (जन निजी भागीदारी अनुमोदन समिति) द्वारा अथवा बुनियादी ढांचे में पीपीपी को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए दिशानिर्देंशों के तहत अधिकारप्राप्त संस्थान द्वारा अनुमोदित हो;
ग) किसी निलंब खाते के लिए रियायती करार किया जाएा जो इक्विटी पर लाभ प्रतिलाभ के भुगतान से पूर्व गौण ऋण की वार्षिक पुनर्भुगतान सुनिश्चित करेगा।
घ) रियायती करार के समापन की स्थिति में रियायत प्रदान करने वाला प्राधिकरण निलंब खाते में रियायात की प्रचालन अवधि के दौरान रियायत का लाभ उठाने वाले प्रधिकारी द्वारा या रियायत प्रदान करने वाले प्राधिकारी द्वारा चूक किए जाने पर गौण ऋण के कम से कम 80 प्रतिशत का समापन भुगतान के तौर पर अदायगी की जाएगी यथा मॉडल रियायती करार (एमसीए) में उल्लखित है। जहां मॉडल रियायती करार (एमसीए) उपलब्ध न हो वहां समरूपी प्रावधान शामिल किया जाय।
ड.) गौण ऋण की राशि कुल परियोजना लागत के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी एवं 20 प्रतिशत की उस अधिकतम सीमा का हिस्सा होगी यथा सिफ्टी के अनुच्छेद 72 में विनिर्दिष्ट है; एवं
च) परियोजना कंपनी द्वारा किसी भी अथवा सभी स्रोतों से उधार लिये जाने वाले गौण ऋण की राशि इसकी प्रदत्त पूंजी एवं इक्विटी पूंजी के आधे से अधिक नहीं होगी।
छ) गौण ऋण के ऋणदाता का उधारकर्ता की वर्तमान व भावी दोनों सभी आस्तियों (प्राप्त आस्ति सहित) पर द्वितीय प्रभार होगा ताकि गौण ऋण सुरक्षित हो सके यथा ऋण करार में उल्लखित है। गौण ऋण सुरक्षित करने के उक्त द्वितीय प्रभार सभी ऋणदाताओं के लिए उनके द्वारा प्रदान किए गये गौण ऋण के समतुल्य होंगे। उपरोक्त गौण ऋणदाताओं का द्वितीय प्रभार उनके द्वारा पूर्व में दिये गये ऋण के लिए प्रथम सममात्रा प्रभार के अधीन होंगे: एवं
ज) गौण ऋण को इक्विटी के रूप में नहीं बदला जाएगा।
7.6 आईआईएफसीएल मामला दर मामला के आधार पर एवं खंड 7.5 (ड.- ज) के अनुपालन में अत्यावश्यक परिस्थितियों में बिजली क्षेत्र की गैर-पीपीपी परियोजनाओं को ही गौण-ऋण सुविधा प्रदान करेगा।
8. जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजना के लिए ऋण प्रदान करना
8.1 जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के मामले में निजी क्षेत्र की कंपनी का चयन पारदर्शी तथा खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।
8.2 संबंधित सरकार द्वारा विधिवत अनुमोदित मानकीकृत/मॉडल दस्तावेजों पर आधारित जन निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं को वरीयता दी जाएगी। मानकीकृत/मॉडल दस्तावेजों के बिना स्टैंड अलोन दस्तावेजों की आईआईएफसीएल द्वारा विस्तृत जांच की जाएगी।
8.3 खूली प्रतिस्पिर्धी बोली के माध्यम से प्रस्ताव आमंत्रित करने से पूर्व संबंधित सरकार अथवा सांविधिक संस्था इस योजना के तहत वित्तीय सहायता हेतु आईआईएफसीएल का सैद्धांतिक अनुमोदन की मांग कर सकती है। बोली पूर्व चरण में आईआईएफसीएल द्वारा दिया गया कोई भी संकेत अंतिम प्रतिबद्धता के तौर पर नहीं समझा जाएगा। आईआईएफसीएल द्वारा प्रदान किये जाने वाला वास्तविक ऋण परियोजना की वित्तीय समापन से पूर्व अग्रणी बैंक द्वारा किए गया मूल्यांकन द्वारा शासित होगा।
9. योजना की समीक्षा
9.1 जब भी आवश्यक हो इस योजना की वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग, भारत सरकार द्वारा समीक्षा की जाएगी।
9.2 आईआईएफसीएल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित होगा।
9.3 सिफ्टी में संशोधन अधिकारप्राप्त समिति के स्तर पर किया जा सकता है जो वित्त मंत्री के अधीन हो।
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टिप्पणी: सिफ्टी के खंड 6.1 के संदर्भ में एतद् द्वारा सूचित किया जाता है कि आईआईएफसीएल ने अग्रणी ऋणदाता की भूमिका ग्रहण करने / केवल अपने स्वयं के मूल्यांकन के आधार पर परियोजनाएं संस्वीकृत करने में स्वयं को सुसज्जित करने के लिए आवश्यक कदमों की शुरूआत कर ली है; एवं ऐसे कदम पूरा करने के पश्चात इन कार्यकलापों की शुरूआत करेगा। एक बार जब आईआईएफसीएल इन कार्यकलापों की शुरूआत कर लेता है तो इसे अपनी वेबसाइट के माध्यम से सूचित करेगा।